संतान नहीं होने पर बैगा से करवा रहे थे झाडफ़ूंक, असर नहीं होने पर देवर की बेटी की कर दी हत्या


माना के टेमरी की घटना 
रायपुर. जलन मन का एक भाव है। कहा जाता है कि महिलाओं में यह भाव थोड़ा ज्यादा होता है। अगर जलन की भावना के साथ अंधविश्वास भी शामिल हो जाए, तो इसका परिणाम काफी घातक और दुखदायी होता है। टेमरी गांव में यही हुआ। जलन और अंधविश्वास ने एक परिवार की खुशियां छिन ली। परिवार में मातम छा गया। इस दुख से उबरने में वर्षों लगेंगे। इस घटना की शुरुआत साल भर पहले हो गई थी। लेकिन परिणाम 21 अप्रैल को आया।
मृतका गीतांजलि 
माना के ग्राम टेमरी में नंदकुमार साहू का घर। समय सुबह 10.30 बजे। नीलम साहू अपनी एक साल की बेटी गीतांजली को नहलाया। फिर दूध पिलाया। दूध पीते-पीते गीतांजली सो गई। नीलम ने उसे बिस्तर में सुला दिया और खुद नहाने चली गई। करीब आधे घंटे नहाकर लौटी। कमरे में गीतांजली नहीं थी। उसे लगा आसपास खेल रही होगी। उसने अपने कपड़े बदले। फिर उसे ढूंढने लगी। पूरे घर में उसे देख लिया। बच्ची नहीं मिली। नीलम ने अपने जेठ अनुज साहू और जेठानी राजेश्वरी साहू से भी पूछा। उन्होंने जानकारी होने से इनकार किया। नीलम ने पूरा घर ढूंढ लिया। बच्ची नहीं मिली। आसपास और मोहल्ले के घर घर जाकर बच्ची को ढूंढा। नहीं मिलने पर उसने अपने पति मनोज साहू को बुलाया। पति सब्जी बेचने गया था। लौटने पर उसने भी बच्ची की तलाश की। करीब आधे घंटे बाद अनहोनी की आशंका में मनोज और नीलम ने छत में बनी पानी की टंकी को खोलकर देखा। उनका शक सही साबित हुआ। पानी की टंकी में किसी ने मासूम को फेंक दिया था। मासूम की मौत हो चुकी थी। फिर मनोज बच्ची के जिंदा रहने की आस में उसे अंबेडकर अस्पताल लेकर गया। वहां डॉक्टरों ने जांच के बाद बच्ची को मृत घोषित कर दिया। घटना की सूचना पुलिस को दी गई। माना पुलिस मौके पर पहुंची। हत्या का मामला दर्ज किया। फिर जांच शुरू की।
हत्या की आरोपी महिला 
माना टीआई दुर्गेश रावटे और उसकी टीम ने पहले गीतांजली के मां-बाप का बयान लिया। इसके बाद घटना के समय घर में उपस्थित अनुज और उसकी पत्नी राजेश्वरी से पूछताछ शुरू की। दोनों ने कुछ भी जानकारी होने से इनकार किया। अगले दिन पुलिस ने परिवार के अन्य लोगों से पूछताछ की। बच्ची के दादा-दादी और अन्य लोगों से पूछताछ की। इसके अलावा मनोज के छोटे भाई से भी पूछताछ की। दूसरे दिन भी पुलिस हाथ खाली थे।
तीसरे दिन पुलिस को पता चला कि मनोज और अनुज की एक साथ शादी हुई है। लेकिन अनुज और उसकी पत्नी राजेश्वरी की कोई संतान नहीं है। साथ ही यह भी खुलासा हुआ कि अनुज और राजेश्वरी किसी बैगा से संतान प्राप्ति के लिए झाडफ़ूंक करवा चुके हैं और उसकी बताई जड़ीबूटी का सेवन भी कर रहे हैं। इसके बाद पुलिस ने अनुज और राजेश्वरी से अलग-अलग पूछताछ शुरू की। पुलिस ने कड़ाई शुरू की। इसके बाद राजेश्वरी ने बच्ची का हत्या करना स्वीकार लिया।https://chhattisgarhsatyakatha.blogspot.com/2020/04/blog-post_18.html
देखकर जलता था दिल 
पूछताछ में राजेश्वरी ने बताया कि करीब एक साल से संतान प्राप्ति के लिए बैगा से झाडफ़ूंक करवा रहे थे। गीतांजली घर में सबसे छोटी थी। तीन परिवार एक साथ रहते थे, तो सबसे छोटी होने के कारण गीतांजली को सभी प्यार और दुलार करते थे। इससे उसे जलन होती थी। करीब एक माह पहले झाडफ़ूंक वाली दवा बेअसर हो गई। गर्भ नहीं ठहरा। इससे राजेश्वरी और तनाव में रहती थी। इस दौरान घर में बच्ची को हंसते-खेलते देखकर नीलम और उसके पति मनोज से उसे बहुत जलन होती थी। इसके चलते बच्ची को नुकसान पहुंचाने का निर्णय कर लिया। इसी के तहत घटना वाले दिन जैसे ही नीलम नहाने के लिए बाथरूम में गई। राजेश्वरी भी नहाने के लिए उसके कमरे में गई। नीलम बाथरूम में थी और बच्ची बिस्तर में सोई थी। मौका देखकर राजेश्वरी ने बच्ची को गोद में उठा लिया। बच्ची नींद में थी। इसलिए वह रोई नहीं। राजेश्ववरी छत में पहुंची और बच्ची को पानी की टंकी में डाल दिया। ऊपर से ढक्कन लगा दिया और लकड़ी का बड़ा गुटका रख दिया। पानी में डूबने से बच्ची की मौत हो गई। राजेश्वरी के खुलासे घर वाले भी हैरान थे। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
इसी टंकी में डुबाया था बच्ची को 
अंधविश्वास का नतीजा

पुलिस के मुताबिक अनुज और राजेश्वरी काफी दिनों से झाडफ़ूंक वाली दवा ले रहे थे। डॉक्टरों से भी जांच करवाई गई थी। इसमें दोनों की रिपोर्ट सामान्य थी। इसके बावजूद दोनों को बैगा के झाडफ़ूंक पर भरोसा ज्यादा था। और उसके बताए अनुसार जड़ीबूटी का सेवन कर रहे थे। पिछले माह ही जड़ीबूटी का असर फेल हो गया। और गर्भ नहीं ठहरा। इसके बाद दोनों के सब्र का बांध टूट गया। और दोनों काफी निराश हो गए। निराशा के साथ ही अपने छोटे भाई की बच्ची को देखकर उनका खून खौल जाता था। इसी आवेश में आकर राजेश्वरी ने इस घटना को अंजाम दिया। बैगा की जड़ीबूटी के अलावा मेडिकल साइंस के दूसरे उपचार पर भरोसा करते और कुछ दिन और इंतजार करते, तो ऐसी घटना नहीं होती।

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